tag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post1167702130840184230..comments2023-09-13T17:02:19.585+05:30Comments on कलरव: कहीं यह पलायन तो नहीं...!हेमन्त कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-4742856012269560762010-08-19T19:54:55.656+05:302010-08-19T19:54:55.656+05:30testing commentstesting commentsहेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-61851133503689619162010-05-17T00:30:54.190+05:302010-05-17T00:30:54.190+05:30पता नहीं बनायेगी कि नहीं .........हो सकता है यदि आ...पता नहीं बनायेगी कि नहीं .........हो सकता है यदि आप कह रहे हैं तो ......अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-14018411872754511242010-05-12T12:06:51.828+05:302010-05-12T12:06:51.828+05:30जीवन की एक असफलता का नाम जीवन की असफलता नहीं.जीवन की एक असफलता का नाम जीवन की असफलता नहीं.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-7916588206999572062010-04-11T07:07:30.024+05:302010-04-11T07:07:30.024+05:30आग की ज्वाला
यदि सच्ची है
फिर
तपा कर स्वयं को
कुन्...आग की ज्वाला<br />यदि सच्ची है<br />फिर<br />तपा कर स्वयं को<br />कुन्दन न बना देगी... इन पंक्तियों में तो आपने जीवन का एक बड़ा दर्शन बता दिया है---सुन्दर ।पूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-14355423102080370712010-04-10T18:25:18.272+05:302010-04-10T18:25:18.272+05:30सुंदर रचना।सुंदर रचना।अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-36283212269772229722010-04-06T17:36:39.589+05:302010-04-06T17:36:39.589+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-37247691083817132922010-04-06T08:53:02.694+05:302010-04-06T08:53:02.694+05:30असफलता की आंच तपा कर कुंदन बना तो देती है ...सफलत...असफलता की आंच तपा कर कुंदन बना तो देती है ...सफलता का स्वाद दुगुना तभी होता है जब असफलता को चख चुके हो ...<br />आशा का सन्देश है आपकी कविता ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-12869803698567646062010-04-06T06:31:56.711+05:302010-04-06T06:31:56.711+05:30सम्भवत: आप 'नियति' कहना चाह रहे थे, पहले ह...सम्भवत: आप 'नियति' कहना चाह रहे थे, पहले ही दीर्घ हो गए। नीयत की संगति तो नहीं बैठती !<br /><br />@<br />गर्म लोहे के ताप को<br />असफलता से प्राप्त<br />आग की ज्वाला<br />यदि सच्ची है<br />फिर<br />तपा कर स्वयं को<br />कुन्दन न बना देगी....! <br /><br />इसे रीफ्रेम कीजिए बन्धु ! निखार की दरकार है। शानदारी पर थोड़ी सान चढ़ा दीजिए।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-72335685575707420442010-04-05T17:26:47.989+05:302010-04-05T17:26:47.989+05:30सही बात है हेमंत जी। इस कविता के जरिए आपने बहुत ही...सही बात है हेमंत जी। इस कविता के जरिए आपने बहुत ही प्रेरणादायक और गहरी बात कही है। आभार।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-12590600110572222172010-04-05T16:10:43.915+05:302010-04-05T16:10:43.915+05:30सच है असफ़लता सफ़लता की तरफ़ बढता हुआ पहला कदम है , स...सच है असफ़लता सफ़लता की तरफ़ बढता हुआ पहला कदम है , सफ़लता का वास्त्विक मूल्य भी तभी पता चलता है जब असफ़लता का स्वाद चखा हो ,सीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3681948525900729009.post-89205223237965126032010-04-05T13:47:41.373+05:302010-04-05T13:47:41.373+05:30बिलकुल ! असफलता से क्या घबराना ! चींटी की कहानी या...बिलकुल ! असफलता से क्या घबराना ! चींटी की कहानी याद है न मित्र ! <br />बहुत गहरी बातें बता जाती है किसी विशेष क्षण की असफलता ! कुन्दन ही बनाती है । प्रवृत्ति सही है । चरैवेति...चरैवेति..!Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com