Monday, April 5, 2010

कहीं यह पलायन तो नहीं...!






प्रत्याशित सफलता का न होना
नीयति पर ठीकरा कसना क्यों हो...?
कहीं यह पलायन तो नहीं...!
इसकी समीक्षा
ठंडे बस्ते में डाल देती है
गर्म लोहे के ताप को
असफलता से प्राप्त
आग की ज्वाला
यदि सच्ची है
फिर
तपा कर स्वयं को
कुन्दन न बना देगी....!