Monday, August 31, 2009

कैसे सह लेते हो तुम

तुम प्रकृति की अद्भुत रचना हो
तुममे  विलक्षणता के सारे गुण हैं
धन्य हुआ होगा ईश्वर भी
धरती पर तुम्हें भेज के
तुम्हारी कार्य शैली
चातुर्य, व्यस्तता,
हर फन में पारंगत होना
साथ ही
सबको खुश रखने का गुण
मन मोहक  है

हम भी कायल हैं तुम्हारी
जीवन शैली के
कैसे कर लेते हो तुम
यह सब
कैसे सह लेते हो तुम
यह सब
सबकी सन्तुष्टि बीच
कहां से चुरा लेते हो
समय
अपना अपनेपन के लिये

तुम्हारा जीवन
एक रहस्य से कम नहीं......!

Sunday, August 30, 2009

क्या लड़कियों से नहीं संवरता है जीवन

कल तुम्हें देखा
एकटक निहारते हुए
तुम्हारी आंखों मे
गुजरे हुए कल की तस्वीर
स्पष्ट दिख रही थी
अब तुम लड़की से स्त्री हो चली थी
तुम्हें देख के ऐसा लग रहा था
मानो तुम्हारे मनोभाव
अपने आप को कोस रहें हो
हमें देख कर साथ-साथ।

अगर मैं भी लड़का होती
मुझसे जीवन में कुछ भी न छूटता
न मां-बाप का घर
ना ही सखि-सहेलियां
सब कुछ पास होते
अब तो पिया का घर
ही अपना आशियाना है।

मां ही क्यों कहती है......
वंश तो लड़के चलाते है
लड़की को पराये घर जाना है
उद्विग्न हो उठता है मन।

शायद मां  भूल जाती है
वह भी एक लड़की ही है
फिर क्यों करती है भेद
क्या लड़कियों से नहीं संवरता है जीवन .........? 

Saturday, August 29, 2009

छान लिया मछुआरों ने

आज संझवत नहीं लगा
कलुआ ने भूख से दम तोड़ दिया था
असहाय हो गये बीबी बच्चे
असहाय जी रहे जीवन में
मंहगाई ने ऐसा मारा
दो जून की रोटी
एक जून की हो चली थी
मजदूरी भी कौन करेगा...?
दो बच्चों की मां के लिए
दाह संस्कार का जुगाड़
किसी पर्वत लांघने  से कम न था
छोड़ लाश के पास बच्चों को
साहुकार के पास 
शादी के पायल के बदले पैसे लेने
अन्तिम कर्म भी सहज न हो सका ।

लालन-पालन,भरण-पोषण,
हो गयी स्व्प्न की बातें
जीवन के अन्तिम सच की ओर चल दी.....
गंगा मईया ले लो अपनी गोद में हमें
वहां भी शरण ना मिला
छान लिया मछुआरों ने
जब मौत भी गले ना लगाए
इस जीने का क्या होगा
कैसे सोच लेते हैं सब .......?
ऐसा जीवन जीने से मर जाना ही अच्छा.....!

Friday, August 28, 2009

धरती का कलेजा फट रहा है

धरती का कलेजा फट रहा है
देख कर चिटकन
धरती का
मानो ऐसा लगता है
इतनी विशाल धरती
जिसका तीन भाग पानी है
उसका पानी पानी के लिए तरसना
गला भर आता है
पर्यावरण असन्तुलन के लिए जिम्मेदार कौन
जितना दोहन हम करते हैं
क्या उसके प्रति वफादार हैं
अन्न-पानी -हवा
जब इसका दायरा सिमटेगा
तो इस जनसंख्या का क्या होगा
कभी अलनिनो कभी कुछ को
कब तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है
नहीं हो रही खेती अच्छी
तब महगांई और भागेगी
आम जनता और धरती के कलेजे में
जमीन आसमान का अन्तर है
जब धरती का यह हाल है
जन जीवन का क्या होगा............?

Thursday, August 27, 2009

अध्ययन और परीक्षाफल की यात्रा में

कक्षा बारह की लड़कियों ने
किया हवन-पूजन
माता रानी के चरणों में
सफल मनोरथ हो
अध्ययन और परीक्षाफल की यात्रा में
सामुहिक रुप से अपने कालेज में
बोर्ड फार्म भरे जाने से पहले
आज इस दौर में
आस्था का इस मार्ग से गुजरना
अत्यन्त सुखानुभूति देता है
मंगलकामना से प्रारंभ
संकल्प है
हम सभी सफल हों
प्रेरणादायी है............!

Wednesday, August 26, 2009

आपका जीवन दर्शन तो है

नियति का खेल
बड़ा अजीब होता है
बच नहीं सकता है कोई इससे
इस जगत में।
जगत भी एक बगिया है
ईश्वर इसका माली है
इस बगिया का हर अच्छा पुष्प
जिसे वह समझे........
यह अपनी पूर्णता ओर है
सभी पुष्पों में उसे सबसे पहले
तोड़ लेता है
उसके तोड़ने के पीछे
संभव है पुष्प के विकृत होने से बचाने का भाव हो ।

आप नहीं हो हमारे साथ
आपका जीवन दर्शन तो है ......!
                                                                    

                                                                       ( पिता जी की २८वीं पूण्यतिथि पर उनको समर्पित)            
                                                                                               

Tuesday, August 25, 2009

हां ! समय ने दांव दे दिया

मैने देखा
समय ने दांव दे दिया
आज
ऐसा आदमी
जिसने जीवन में किसी के सामने
हांथ फैलाना उचित नहीं समझा
आज वह बिना लाग-लपेट के
पुकार रहा है............
एक ऐसे आदमी को
जो अभी अपनी स्थापना के लिये
दिन-ब-दिन
नये-नये मायने तलाश रहा है
दोनों ने अपना स्नेह निर्झर
ऐसा बहाया
लगा जैसे जीवन सरिता
बह चली
हां ! समय ने दांव दे दिया।

Sunday, August 23, 2009

हरितालिका तीज

आज हरितालिका तीज है
सुना है
माता पार्वती ने इसी दिन
भगवान शंकर की अर्धांगिनी
होने का सौभाग्य पाया
इस परंपरा के अनुसार महिलाएं
रखती हैं व्रत पति के दीर्घायु होने के लिए।

आज की महिला
केवल घर में ही रहने वाली नहीं
कामकाजी भी हैं
उनके लिए यह व्रत
कितना जायज है ?
अब इनकी बराबर की भागीदारी है |
आज का पुरुष
इतना वफादार है क्या ?
इस प्रश्न के आगे
निरुत्तरित हो जाता हूं मैं...............!

Saturday, August 22, 2009

बगिया बहुत उदास है


बगिया बहुत उदास है
कैसे खिलेंगी कलियां
नहीं होगा भवरों का गुंजन
दूर- दूर तक
हरियाली रो रही है
क्या मुझे अब लोग
वाल पेपर,थीम और
नन्हीं तूलिकाओं की से
बनी चित्रावलिओं में ही देखेंगे।

कहीं ऐसा न हो जाय
जीवन और प्रकृति का सामंजस्य
भौतिक सुख सुविधाओं के बीच
असहाय सा हो जाय।

Friday, August 21, 2009

विचार

विचार
मुखरित हो उठते हैं
भाषा में भी जान आ जाती है
मस्तक भी हो जाता है तेजमय
जब
आप हो जांय
कर्तव्यनिष्ठ
और फिर
जीवन
सुखमय
शान्तिमय
भेदभाव रहित हो जाता है.....!

Wednesday, August 19, 2009

जब तुम चाहोगे

सच है
खिलेगा कमल
पंछी गुनगुनाएंगे
कोयल कू कू करेगी
महकेगा चमन
बहेगी हवा
सुहावना होगा मौसम
सब कुछ अच्छा होगा.........


हे ईश्वर !
जब तुम चाहोगे|
.................................................

Tuesday, August 18, 2009

बांधो न नाव इस ठांव बन्धु!

सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की कविता

बांधो न नाव इस ठाँव बन्धु!
पूछेगा सारा गाँव बंन्धु!

यह घाट वही जिसपर हँस कर,
वह कभी नहाती थी हँसकर,
आंखें रह जाती थी फँसकर,
कंपते थे दोनों पाँव,बन्धु!

वह हँसी बहुत कुछ कहती थी,
फिर भी अपने में रहती थी,
देती थी सबको दाँव,बन्धु!

Monday, August 17, 2009

सामान्य हुआ मौसम

बारिश आयी
सामान्य हुआ मौसम
जनजीवन खुश हो उठा
आस जगी
अब भी
चलो
रोपाई हो धान की
शायद ईश्वर की यही ईच्छा हो
खेत फिर से लहलहा उठे
अनाज पैदा हो
निजात मिले सूखे से
यही प्रार्थना है
क्यों कि
जब
किसान हो खुशहाल
तभी होगा
देश खुशहाल...।

Sunday, August 16, 2009

बाबूजी की बेटियां

बाबूजी की बेटियां
अब
पापा की बेटियां हैं
बेड़ियां
गये जमाने की है बात
नहीं सिमटा है जीवन
केवल चूल्हे- चौके,राशन-पानी तक
लड़कों से कम नहीं है उनकी उड़ाने
वह भी
बैग टांगे
सायकिल से स्कूटी से बसों से
करती हैं यात्रायें
बेहतर जीवन
जीना
अब
कपोल कल्पना नहीं.....।

Saturday, August 15, 2009

आजादी का जश्न

आजादी का जश्न
मनाने की घड़ी है
उत्सव में सराबोर होने से
स्वतंत्रता सेनानियों को याद
करने मात्र से ही
नहीं संवरेगा अपना देश
आज
समय की मांग है
देश का हर नागरिक
अपने अधिकारों के साथ-साथ
अपने कर्तव्यों को जाने और समझे
तभी हो सकेगी समुचित भागीदारी
देश के प्रति
और
फ़िर होगा.....
विकासशील भारत
विकसित भारत..........।

Friday, August 7, 2009

चुनौतियां हैं सामने

एक बालक देखता है
दुनिया का बावलापन
लोग कैसे आगे बढ़ रहे हैं
इसका प्रश्न उसके जेहन में है
जिसे खोजता फिरता है वह
अपने आस-पास
अपने को भ्रम में पाता है
जैसे जैसे बडा़ होता है
उसका संशय और भी बड़ा हो जाता है

जब तक वह बालक था
मस्त था
आज
वह बड़ा हो गया है
चुनौतियां है सामने
बढ़ रहा है चौराहे की ओर
जहां से खुलते हैं अनेक द्वार
सोचता है
चुनुंगा उसे ही
जो कर दे सफल
पर
यह रास्ता सही है
यह कहना
आज
कितना सही है........।

Thursday, August 6, 2009

सावन भी चला गया

नहीं बदला मौसम
इस बार.......
रिमझिम फुहारें
सावनी बयार
सब
सपनों में ही रह गयी
सावन भी चला गया.......

Monday, August 3, 2009

बालक का हक़

बाल मनुहार
हर बालक का हक है
पर
जब हाँथों में
खेल का सामान
किताबों के बैग
गले में टाई
पानी की बोतल
पैरों में जूते
और भी बहुत कुछ
यह सब न मिले
फिर
वह बचपन
अपने अस्तित्व से लड़ता हुआ
सर पर टोकरी
हाँथों में फावड़ा लेकर
सिसकियाँ भरता
आ खड़ा होता है
मजदूरों की भीड़ में

एक समय था
आने दो आने
अठन्नी चवन्नी
में भरता था पेट
पर आज दस बीस में भी नहीं
भरता है पेट ,
कोई बालक
इससे ज्यादा भी पाता है क्या ?

Sunday, August 2, 2009

प्रेम का एहसास

प्रेम का एहसास
एहसास मात्र ही नहीं है
इसे समझना शायद
सबके बस की बात नहीं है
इतनी आसानी से कोई कह दे
कि "मैं तुमसे प्यार करता हूँ "
यह बात गले से नहीं उतरती
इसका होना तो तब होता है
जब एक हूक सी उठे
जो तोड़ कर रख दे
सारा अभिमान
अपने होने का गुमान
और अपने दिल की बात
आँखों तक आ जाये
भर दे हृदय को -
निर्मल व पावन भावों से ।


चित्र : गूगल से साभार

Saturday, August 1, 2009

संकट के बादल

सड़कें
दिन ब दिन
चौडी़ हो रही हैं
फिर भी जाम से छुट्कारा कहां
संकट के बादल
अपनी कहानी कहते.............