Sunday, July 26, 2009

स्वप्नलोक में

स्वप्नलोक में
और
कल्पनालोक में ही
शान्ति का मार्ग है
इस पार की दुनियां में
अब अमन-चैन सुख-दुख
सिमटता जा रहा है
घटनाएं
परिवर्तित स्वरुप में
सामने आ रही हैं
लूटपाट-हत्या
अत्याचार आदि का
बोलबाला है............!

2 comments:

Himanshu said...

behatar .

Dhiraj Shah said...

सुन्दर रचना ।