जब भी दर्द में होता हूं
तुम्हारी याद आती है
तुम्हारा
आम्रमंजरियों के बीच से गुजरना
पगडन्डियों कि उडती धूल
जो तुमसे होकर जाती थी
उसमें
तुम्हारी खुशबु होती थी
समय के पहिए का
रफ्तार पकडना
नहीं भूलता
नंगे पांवों मे कांटो का चुभना
रेल की पटरियों के किनारे
पैरों का फिसलना
तुम्हारा सिसकना
आज भी याद है
कैसे सह पाती थी
जब भी दर्द में होता हूं
तुम्हारी याद आती है..........!
1 comment:
गहरी बात कहने के लिये इन्हीं सहज शब्दों की जरूरत होती है शायद तभी तो कह गये बहुत कुछ । आभार ।
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