अस्वस्थता
गजब का अवकाश है
चेतन अवचेतन से परे
बस गुजरना भी
चिकित्सकीय परीक्षण से
अस्वस्थता से
स्वास्थ्य-लाभ की यात्रा में
बड़े सरोकार हैं
और पैरोकार भी
बन जाता है स्वास्थ्य-लाभ
एक उत्सव-सा
इस भागमभाग से
कुटुम्ब और समाज
ऐसे अवसर पर
यथोचित भागीदारी से नहीं चूकता
संभव है कि यही सामाजिक आत्मीयता हो
समरसता के लिये
सामंजस्य के लिये
सदभाव के लिये
और साथ ही भूल सुधार के लिये भी ।
8 comments:
अस्वस्थता में कई बार मन निर्विचार होने लगता है - पहले तो कई चिन्तन गड्ड-मड्ड, फिर अचानक ही इतना उलझाव तिरोहित हो जाता है । सारे चिन्तन के खत्म हो जाने पर निस्तब्ध शान्ति ।
यह तो अपनी क्रियाशीलता का तकाजा है भई, कि बीमारी में भी इतना सोचे जा रहे हो, प्रविष्टियाँ लिखे जा रहे हो ।
बेहतर स्वास्थ्य की शुभकामनायें ।
शुभकामनाएँ.
अस्वस्थता
गजब का अवकाश है
चेतन अवचेतन से परे
बस गुजरना भी
चिकित्सकीय परीक्षण से
सच कहा है आपने---्स्वास्थ्य के लिये शुभकामनायें।
पूनम
मुंशी प्रेमचंद की एक्काहानी भे कुछ इसी तरह के है बीमारी वरदान बन गयी , हेमंत भाई अच्छा लगा पढ़कर
आपकी प्रविष्टी की टूटती निरंतरता से सवाल उठा ही था की जवाब मिल गया ...शुभकामनायें ...!!
बहुत सुंदर व्यथा कथा है ये और शाएद काफी हद तक सत्य भी
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।
dher sari subh kamnaye
happy diwali
from sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
nvcghv,n n
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