Tuesday, October 13, 2009

आओ ! बातें करें.....

आओ ! बातें करें
आज क्यों नहीं है सुख-शान्ति ?

आओ ! बातें करें
कितना अस्त-व्यस्त है जन-जीवन ?

आओ ! बातें करें
इतना क्यों हाहाकार मचा है ?

आओ ! बातें करें
अरमानों ने क्यों दम तोड़ा है ?

आओ ! बातें करें
इन्तजार की घड़ी इतनी लम्बी क्यों है ?

आओ ! बातें करें
दरस को प्यासे नयन क्यों हैं ?

आओ ! बातें करें.....!

6 comments:

M VERMA said...

आओ ! बातें करें
इन्तजार की घड़ी इतनी लम्बी क्यों है ?
सही है बात करने के मुद्दो की कमी तो नही है --

वाणी गीत said...

कैसे करे बातें ...सर पर दिवाली है और बहुत काम बचा है ...
हाहा ..!!

Himanshu Pandey said...

इतनी बातों के लिये अनगिन दिन और रातें चाहियें प्यारे !

सच में खाली कौन है इन दिनों ! आपाधापी भरा जीवन! वैसे यही तो बताना चाहा है तुमने भी इस रचना में । आभार ।

Arvind Mishra said...

केवल बातें हेमंत जी !

Mishra Pankaj said...

क्या बात करे हेमंत भाई महगाई ने मार डाला है :)

सुन्दर लिखे हो आप जी .. भाई साहब अपने तबियत के बारे में भी थोडा प्रकाश डाल दीजिये

शरद कोकास said...

सही है । मनुष्य के बीच सिर्फ सम्वाद की ही तो आवश्यकत है ।