एक नारी
अपनी ही बिरादरी की
कैसे हो जाती है दुश्मन
शुरू हो जाता है
अत्याचारों का सिलसिला..
एक, दो,तीन ही नहीं अनेकों
प्रताड़ना है कि अपना स्वरूप बदल-बदल कर
आ जाती है सामने
रुकने का नाम ही नहीं लेती
शायद वह भूल जाती है
उसने भी लिया होगा
मां के ही कोख से जन्म
पली बढ़ी होगी
ब्याही गयी होगी
पिया के घर
संभव है
उसके साथ हुआ होगा भेद-भाव
क्या उस भेद-भाव का बदला
भावी पीढ़ी से लिया जाना
कहां तक उचित है ?
अब तो महिला सशक्तिकरण की बात चल रही है
हर मां को भी आना होगा आगे
ना हो भेद-भाव
बेटी के जन्म पर
गाये जांय सोहर
दादी अम्मा बलैया लें
घर में बाजे ढोल
मनोदशा के विकास में ना हो वह कुण्ठित
वह भी पढे़ उसी स्कूल में
जहां उसका भैया पढ़ता है
उसके उड़ानों के कोई पंख न काटे
जीये अपना जीवन करीने से ।
11 comments:
अब तो महिला सशक्तिकरण की बात चल रही है
हर मां को भी आना होगा आगे
ना हो भेद-भाव
बेटी के जन्म पर
गाये जांय सोहर
दादी अम्मा बलैया लें
घर में बाजे ढोल
मनोदशा के विकास में ना हो वह कुण्ठित
वह भी पढे़ उसी स्कूल में
जहां उसका भैया पढ़ता है
उसके उड़ानों के कोई पंख न काटे
जीये अपना जीवन करीने से ।
बहुत सही लिखा !!
ना हो भेद-भाव
बेटी के जन्म पर
गाये जांय सोहर
लिंगभेद के जहर को रेखांकित करती सामयिक और सार्थक रचना
बहुत सार्थक और जबरदस्त रचना/
हेमंत जी आपकी रचना ने समस्या का एक अलग पहलू दिखाया धन्यवाद
नारी के बहुआयामी व्यक्तित्व में और उसकी बहुरंगी मानसिकता में कुछेक अनछुए और कम परिचित चित्र है उसकी इस प्रकार की अनिश्चित क्रियाविधि जिसका संकेत आपने किया है ।
पुरुष क्या है ? कैसा है ? - बाद का विषय है । सारी गेंद एक ही पाले में ।
बेहद प्रभावित करती रचना ।
behtreen...........aaj yahi soch har mahila ko apnani hogi agar wo sach mein mahila sashaktikaran ki pakshdhar hai to.
अब तो महिला सशक्तिकरण की बात चल रही है
हर मां को भी आना होगा आगे
ना हो भेद-भाव
बेटी के जन्म पर
गाये जांय सोहर
दादी अम्मा बलैया लें
घर में बाजे ढोल...
achchhi prastuti! Umdaa sandesh!!
बहुत ही बेहतरीन व सामयिक रचना लिखी है।बधाई स्वीकारें।
स्त्री स्त्री की दुश्मन है इस वाक्य का प्रणेता भी पुरुष ही है ।
मुझे तो कण्ट्रोवशियल तुलसी बाबा पर भरोस है - मोहे न नारि नारि के रूपा, पन्नगारि यह चरित अनूपा।
aaj bhi samaj me bhed bhav ki bhavna hai
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।
dher sari subh kamnaye
happy diwali
from sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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