Saturday, October 17, 2009

आईये दीपावली मनायें....!

आईये दीपावली मनायें !
प्राकृतिक और पारंपरिक ढंग से
कम से कम
एक दिन साल में ऐसा हो
जिस दिन
घर- आंगन रोशन हो
कृत्रिम रोशनी से नहीं
पारंपरिक घृत व तेल के दीयों से
आतिशबाजी हो
पटाखों की नहीं
सार्थक विचार - अभिव्यक्ति की
गूंज उठे जहां सारा.....।

                                                              ( शुभ दीपावली )

8 comments:

Himanshu Pandey said...

पारंरिक घृत-तेल के दीये, और परंपरा संयुत विचार - दोनों इस आधुनिक जीवन शैली के अंग बनें- कामना है । आभार ।

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

सादर

-समीर लाल 'समीर'

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."

Mishra Pankaj said...

दिवाली की मंगल कामना

संगीता पुरी said...

सार्थक रचना !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!

वाणी गीत said...

कृत्रिम रौशनी के संग घी बाती के दीपक भी जलाएं ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ..!

संजय भास्‍कर said...

आपका स्वागत है

आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की

हार्दिक बधाइयां

शरद कोकास said...

हाँ आतिश्बाज़ी तो प्रेम की होना चाहिये ।