कलरव
Monday, July 20, 2009
झुक जाये समय भी
प्रिय !
उभरो
क्षितिज पर
महामानव बन कर
करो कुछ ऐसा
याद रखे दुनिया जिसे
और
बन जाओ
इतिहास पुरुष
भूलो
और
सबक लो
उस पल से
जब असहाय से
हो गये थे तुम
बनो कर्तव्यनिष्ठ
बदल सको परिस्थितियाँ
झुक जाये समय भी ।
1 comment:
IMAGE PHOTOGRAPHY
said...
बनो कर्तव्यनिष्ठ
बदल सको परिस्थितियाँ
झुक जाये समय भी ।
kubsurat panktiya, mahamanv ki
July 22, 2009 at 9:49 AM
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बनो कर्तव्यनिष्ठ
बदल सको परिस्थितियाँ
झुक जाये समय भी ।
kubsurat panktiya, mahamanv ki
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