कलरव
Sunday, July 26, 2009
स्वप्नलोक में
स्वप्नलोक में
और
कल्पनालोक में ही
शान्ति का मार्ग है
इस पार की दुनियां में
अब अमन-चैन सुख-दुख
सिमटता जा रहा है
घटनाएं
परिवर्तित स्वरुप में
सामने आ रही हैं
लूटपाट-हत्या
अत्याचार आदि का
बोलबाला है............!
2 comments:
Himanshu
said...
behatar .
July 27, 2009 at 9:35 AM
Dhiraj Shah
said...
सुन्दर रचना ।
July 27, 2009 at 9:37 AM
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2 comments:
behatar .
सुन्दर रचना ।
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