Friday, October 2, 2009

सांझ बिहान की यात्रा में...

सांझ बिहान की यात्रा में
अनेकों पड़ाव
रात्रि
रात्रि के पहर
अगला चरण भोर का
ब्रह्ममुहूर्त
पक्षियों का कलरव
मानस को झंकृत करने को आतुर....!
सूरज की किरणें
नित नयेपन को आमंत्रण दे रही हैं ...!

8 comments:

Himanshu Pandey said...

यही मनुष्य की मनुष्यता और प्रतिदिन जीने की जिजीविषा है जिसने जीवन का राग-रंग जिन्दा रखा है । सृष्टि के शाश्वत क्रम के बहाने बहुत कुछ ....!

आभार ।

विनोद कुमार पांडेय said...

सूरज की किरणें और भोर का पहर जीवन को एक नया दिन देता है जो एक नये रास्ते की ओर चलते है ..
संदेश देती हुई बहुत सुंदर गीत....बधाई हेमंत जी..

Gyan Dutt Pandey said...

यह आमन्त्रण चूको मत मित्र। उठ जाओ!

hem pandey said...

सूरज की किरणें
नित नयेपन को आमंत्रण दे रही हैं ...!
- इसी आमंत्रण को संबल बना कर जीवन की डगर आसानी से पार की जा सकती है.

शरद कोकास said...

सुप्रभात मित्र ।

वाणी गीत said...

नित नए जीवन की आस जगती सुबह की इस बेला को प्रणाम ...
अच्छी कविता ..!!

पूनम श्रीवास्तव said...

प्रकृति का अनोखा चित्रण किया है आपने।

संजय भास्‍कर said...

यह आमन्त्रण चूको मत मित्र। उठ जाओ!
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।

dher sari subh kamnaye
happy diwali

from sanjay bhaskar
haryana
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