Saturday, October 3, 2009

हार जीत का मोल नहीं......


हार जीत का मोल नहीं
बस खेले जा रहे हैं बच्चे
ये छक्का
ये चौका
एक रन
दो रन
ये रहा तीन
अब तेरी बारी
अब मेरी बारी
आउट हुआ तो क्या हुआ
फिर से खेलेंगे
रन बना के  छोड़ेंगे ।

इन्हें नही मतलब
रिकार्डों से
आइ सी सी से
हार जीत से
इनका खेल तो बस
आनन्दोत्सव  है......!



                                                               (चित्र गूगल से साभार)

6 comments:

Mishra Pankaj said...

सुन्दर कविता

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

काश ! सचिनवा यह पढ़ता !

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

इन्हें नही मतलब
रिकार्डों से
आइ सी सी से
हार जीत से
इनका खेल तो बस
आनन्दोत्सव है......!

बढ़िया कविता----बालमन को पकड़ने का सुन्दर प्रयास्।
हेमन्त कुमार

वाणी गीत said...

बच्चों की छोटी छोटी उपलब्धियां और बड़ी खुशियाँ ...तभी तो जीवन का आनंदोत्सव मना पाते हैं ...!!

अभिषेक आर्जव said...

चलिए हम लोग भी खेले ..........!!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।

dher sari subh kamnaye
happy diwali

from sanjay bhaskar
haryana
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