हार जीत का मोल नहीं
बस खेले जा रहे हैं बच्चे
ये छक्का
ये चौका
एक रन
दो रन
ये रहा तीन
अब तेरी बारी
अब मेरी बारी
आउट हुआ तो क्या हुआ
फिर से खेलेंगे
रन बना के छोड़ेंगे ।
इन्हें नही मतलब
रिकार्डों से
आइ सी सी से
हार जीत से
इनका खेल तो बस
आनन्दोत्सव है......!
(चित्र गूगल से साभार)
6 comments:
सुन्दर कविता
काश ! सचिनवा यह पढ़ता !
इन्हें नही मतलब
रिकार्डों से
आइ सी सी से
हार जीत से
इनका खेल तो बस
आनन्दोत्सव है......!
बढ़िया कविता----बालमन को पकड़ने का सुन्दर प्रयास्।
हेमन्त कुमार
बच्चों की छोटी छोटी उपलब्धियां और बड़ी खुशियाँ ...तभी तो जीवन का आनंदोत्सव मना पाते हैं ...!!
चलिए हम लोग भी खेले ..........!!!
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।
dher sari subh kamnaye
happy diwali
from sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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