सर्वस्व मेरे !
तम छंटा..
हूं मैं तुम्हारे
आलोक में ।
क्या है ...
निजशेष
उठा लिया है अपनी गोद में
तुम्हारी दृष्टि का सावन
मुसलाधार है या मद्धम
ज्ञात अब क्या बचा है ।
तुम्हारे आशीर्वचनों ने
समूचे दुःखों को हर लिया ...!
हां सर्वस्व मेरे.....!
10 comments:
विश्वास में ही बडी शक्ति है .. आशीर्वचन तो मिलना ही है .. सारे दुख समाप्त हो जाते हैं .. बहुत सुंदर रचना !!
बहुत सुन्दर भाव .
क्या है ...
निजशेष
उठा लिया है अपनी गोद में
तुम्हारी दृष्टि का सावन
मुसलाधार है या मद्धम
ज्ञात अब क्या बचा है ।
हेमंत भाई नमस्कार , अच्छा लिखा है आपने
बढ़िया रचना....बधाई!!!
कही कही छायावाद के युग मे पहुंचने का आभास होता है
यह क्या हो रहा है ? हम दोनों छायावादी क्यों हो रहे हैं ? कुछ प्रगतिवादी बनो न ! मैं तो होने से रहा-तुमसे ही आशा है ।
आशीर्वचन दुःख हरते रहे ...बहुत शुभकामनायें ..!!
prabhu prem ko samarpit rachna.........bahut hi sundar bhav.
तुम्हारी दृष्टि का सावन
मुसलाधार है या मध्यम
अच्छी पंक्तियाँ
आभार
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।
dher sari subh kamnaye
happy diwali
from sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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