तुम प्रकृति की अद्भुत रचना हो
तुममे विलक्षणता के सारे गुण हैं
धन्य हुआ होगा ईश्वर भी
धरती पर तुम्हें भेज के
तुम्हारी कार्य शैली
चातुर्य, व्यस्तता,
हर फन में पारंगत होना
साथ ही
सबको खुश रखने का गुण
मन मोहक है
हम भी कायल हैं तुम्हारी
जीवन शैली के
कैसे कर लेते हो तुम
यह सब
कैसे सह लेते हो तुम
यह सब
सबकी सन्तुष्टि बीच
कहां से चुरा लेते हो
समय
अपना अपनेपन के लिये
तुम्हारा जीवन
एक रहस्य से कम नहीं......!
Monday, August 31, 2009
Sunday, August 30, 2009
क्या लड़कियों से नहीं संवरता है जीवन
कल तुम्हें देखा
एकटक निहारते हुए
तुम्हारी आंखों मे
गुजरे हुए कल की तस्वीर
स्पष्ट दिख रही थी
अब तुम लड़की से स्त्री हो चली थी
तुम्हें देख के ऐसा लग रहा था
मानो तुम्हारे मनोभाव
अपने आप को कोस रहें हो
हमें देख कर साथ-साथ।
अगर मैं भी लड़का होती
मुझसे जीवन में कुछ भी न छूटता
न मां-बाप का घर
ना ही सखि-सहेलियां
सब कुछ पास होते
अब तो पिया का घर
ही अपना आशियाना है।
मां ही क्यों कहती है......
वंश तो लड़के चलाते है
लड़की को पराये घर जाना है
उद्विग्न हो उठता है मन।
शायद मां भूल जाती है
वह भी एक लड़की ही है
फिर क्यों करती है भेद
क्या लड़कियों से नहीं संवरता है जीवन .........?
एकटक निहारते हुए
तुम्हारी आंखों मे
गुजरे हुए कल की तस्वीर
स्पष्ट दिख रही थी
अब तुम लड़की से स्त्री हो चली थी
तुम्हें देख के ऐसा लग रहा था
मानो तुम्हारे मनोभाव
अपने आप को कोस रहें हो
हमें देख कर साथ-साथ।
अगर मैं भी लड़का होती
मुझसे जीवन में कुछ भी न छूटता
न मां-बाप का घर
ना ही सखि-सहेलियां
सब कुछ पास होते
अब तो पिया का घर
ही अपना आशियाना है।
मां ही क्यों कहती है......
वंश तो लड़के चलाते है
लड़की को पराये घर जाना है
उद्विग्न हो उठता है मन।
शायद मां भूल जाती है
वह भी एक लड़की ही है
फिर क्यों करती है भेद
क्या लड़कियों से नहीं संवरता है जीवन .........?
Saturday, August 29, 2009
छान लिया मछुआरों ने
आज संझवत नहीं लगा
कलुआ ने भूख से दम तोड़ दिया था
असहाय हो गये बीबी बच्चे
असहाय जी रहे जीवन में
मंहगाई ने ऐसा मारा
दो जून की रोटी
एक जून की हो चली थी
मजदूरी भी कौन करेगा...?
दो बच्चों की मां के लिए
दाह संस्कार का जुगाड़
किसी पर्वत लांघने से कम न था
छोड़ लाश के पास बच्चों को
साहुकार के पास
शादी के पायल के बदले पैसे लेने
अन्तिम कर्म भी सहज न हो सका ।
लालन-पालन,भरण-पोषण,
हो गयी स्व्प्न की बातें
जीवन के अन्तिम सच की ओर चल दी.....
गंगा मईया ले लो अपनी गोद में हमें
वहां भी शरण ना मिला
छान लिया मछुआरों ने
जब मौत भी गले ना लगाए
इस जीने का क्या होगा
कैसे सोच लेते हैं सब .......?
ऐसा जीवन जीने से मर जाना ही अच्छा.....!
कलुआ ने भूख से दम तोड़ दिया था
असहाय हो गये बीबी बच्चे
असहाय जी रहे जीवन में
मंहगाई ने ऐसा मारा
दो जून की रोटी
एक जून की हो चली थी
मजदूरी भी कौन करेगा...?
दो बच्चों की मां के लिए
दाह संस्कार का जुगाड़
किसी पर्वत लांघने से कम न था
छोड़ लाश के पास बच्चों को
साहुकार के पास
शादी के पायल के बदले पैसे लेने
अन्तिम कर्म भी सहज न हो सका ।
लालन-पालन,भरण-पोषण,
हो गयी स्व्प्न की बातें
जीवन के अन्तिम सच की ओर चल दी.....
गंगा मईया ले लो अपनी गोद में हमें
वहां भी शरण ना मिला
छान लिया मछुआरों ने
जब मौत भी गले ना लगाए
इस जीने का क्या होगा
कैसे सोच लेते हैं सब .......?
ऐसा जीवन जीने से मर जाना ही अच्छा.....!
Friday, August 28, 2009
धरती का कलेजा फट रहा है
धरती का कलेजा फट रहा है
देख कर चिटकन
धरती का
मानो ऐसा लगता है
इतनी विशाल धरती
जिसका तीन भाग पानी है
उसका पानी पानी के लिए तरसना
गला भर आता है
पर्यावरण असन्तुलन के लिए जिम्मेदार कौन
जितना दोहन हम करते हैं
क्या उसके प्रति वफादार हैं
अन्न-पानी -हवा
जब इसका दायरा सिमटेगा
तो इस जनसंख्या का क्या होगा
कभी अलनिनो कभी कुछ को
कब तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है
नहीं हो रही खेती अच्छी
तब महगांई और भागेगी
आम जनता और धरती के कलेजे में
जमीन आसमान का अन्तर है
जब धरती का यह हाल है
जन जीवन का क्या होगा............?
देख कर चिटकन
धरती का
मानो ऐसा लगता है
इतनी विशाल धरती
जिसका तीन भाग पानी है
उसका पानी पानी के लिए तरसना
गला भर आता है
पर्यावरण असन्तुलन के लिए जिम्मेदार कौन
जितना दोहन हम करते हैं
क्या उसके प्रति वफादार हैं
अन्न-पानी -हवा
जब इसका दायरा सिमटेगा
तो इस जनसंख्या का क्या होगा
कभी अलनिनो कभी कुछ को
कब तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है
नहीं हो रही खेती अच्छी
तब महगांई और भागेगी
आम जनता और धरती के कलेजे में
जमीन आसमान का अन्तर है
जब धरती का यह हाल है
जन जीवन का क्या होगा............?
Thursday, August 27, 2009
अध्ययन और परीक्षाफल की यात्रा में
कक्षा बारह की लड़कियों ने
किया हवन-पूजन
माता रानी के चरणों में
सफल मनोरथ हो
अध्ययन और परीक्षाफल की यात्रा में
सामुहिक रुप से अपने कालेज में
बोर्ड फार्म भरे जाने से पहले
आज इस दौर में
आस्था का इस मार्ग से गुजरना
अत्यन्त सुखानुभूति देता है
मंगलकामना से प्रारंभ
संकल्प है
हम सभी सफल हों
प्रेरणादायी है............!
किया हवन-पूजन
माता रानी के चरणों में
सफल मनोरथ हो
अध्ययन और परीक्षाफल की यात्रा में
सामुहिक रुप से अपने कालेज में
बोर्ड फार्म भरे जाने से पहले
आज इस दौर में
आस्था का इस मार्ग से गुजरना
अत्यन्त सुखानुभूति देता है
मंगलकामना से प्रारंभ
संकल्प है
हम सभी सफल हों
प्रेरणादायी है............!
Wednesday, August 26, 2009
आपका जीवन दर्शन तो है
नियति का खेल
बड़ा अजीब होता है
बच नहीं सकता है कोई इससे
इस जगत में।
जगत भी एक बगिया है
ईश्वर इसका माली है
इस बगिया का हर अच्छा पुष्प
जिसे वह समझे........
यह अपनी पूर्णता ओर है
सभी पुष्पों में उसे सबसे पहले
तोड़ लेता है
उसके तोड़ने के पीछे
संभव है पुष्प के विकृत होने से बचाने का भाव हो ।
आप नहीं हो हमारे साथ
आपका जीवन दर्शन तो है ......!
( पिता जी की २८वीं पूण्यतिथि पर उनको समर्पित)
बड़ा अजीब होता है
बच नहीं सकता है कोई इससे
इस जगत में।
जगत भी एक बगिया है
ईश्वर इसका माली है
इस बगिया का हर अच्छा पुष्प
जिसे वह समझे........
यह अपनी पूर्णता ओर है
सभी पुष्पों में उसे सबसे पहले
तोड़ लेता है
उसके तोड़ने के पीछे
संभव है पुष्प के विकृत होने से बचाने का भाव हो ।
आप नहीं हो हमारे साथ
आपका जीवन दर्शन तो है ......!
( पिता जी की २८वीं पूण्यतिथि पर उनको समर्पित)
Tuesday, August 25, 2009
हां ! समय ने दांव दे दिया
मैने देखा
समय ने दांव दे दिया
आज
ऐसा आदमी
जिसने जीवन में किसी के सामने
हांथ फैलाना उचित नहीं समझा
आज वह बिना लाग-लपेट के
पुकार रहा है............
एक ऐसे आदमी को
जो अभी अपनी स्थापना के लिये
दिन-ब-दिन
नये-नये मायने तलाश रहा है
दोनों ने अपना स्नेह निर्झर
ऐसा बहाया
लगा जैसे जीवन सरिता
बह चली
हां ! समय ने दांव दे दिया।
समय ने दांव दे दिया
आज
ऐसा आदमी
जिसने जीवन में किसी के सामने
हांथ फैलाना उचित नहीं समझा
आज वह बिना लाग-लपेट के
पुकार रहा है............
एक ऐसे आदमी को
जो अभी अपनी स्थापना के लिये
दिन-ब-दिन
नये-नये मायने तलाश रहा है
दोनों ने अपना स्नेह निर्झर
ऐसा बहाया
लगा जैसे जीवन सरिता
बह चली
हां ! समय ने दांव दे दिया।
Sunday, August 23, 2009
हरितालिका तीज
आज हरितालिका तीज है
सुना है
माता पार्वती ने इसी दिन
भगवान शंकर की अर्धांगिनी
होने का सौभाग्य पाया
इस परंपरा के अनुसार महिलाएं
रखती हैं व्रत पति के दीर्घायु होने के लिए।
आज की महिला
केवल घर में ही रहने वाली नहीं
कामकाजी भी हैं
उनके लिए यह व्रत
कितना जायज है ?
अब इनकी बराबर की भागीदारी है |
आज का पुरुष
इतना वफादार है क्या ?
इस प्रश्न के आगे
निरुत्तरित हो जाता हूं मैं...............!
सुना है
माता पार्वती ने इसी दिन
भगवान शंकर की अर्धांगिनी
होने का सौभाग्य पाया
इस परंपरा के अनुसार महिलाएं
रखती हैं व्रत पति के दीर्घायु होने के लिए।
आज की महिला
केवल घर में ही रहने वाली नहीं
कामकाजी भी हैं
उनके लिए यह व्रत
कितना जायज है ?
अब इनकी बराबर की भागीदारी है |
आज का पुरुष
इतना वफादार है क्या ?
इस प्रश्न के आगे
निरुत्तरित हो जाता हूं मैं...............!
Saturday, August 22, 2009
बगिया बहुत उदास है
Friday, August 21, 2009
विचार
विचार
मुखरित हो उठते हैं
भाषा में भी जान आ जाती है
मस्तक भी हो जाता है तेजमय
जब
आप हो जांय
कर्तव्यनिष्ठ
और फिर
जीवन
सुखमय
शान्तिमय
भेदभाव रहित हो जाता है.....!
मुखरित हो उठते हैं
भाषा में भी जान आ जाती है
मस्तक भी हो जाता है तेजमय
जब
आप हो जांय
कर्तव्यनिष्ठ
और फिर
जीवन
सुखमय
शान्तिमय
भेदभाव रहित हो जाता है.....!
Wednesday, August 19, 2009
जब तुम चाहोगे
सच है
खिलेगा कमल
पंछी गुनगुनाएंगे
कोयल कू कू करेगी
महकेगा चमन
बहेगी हवा
सुहावना होगा मौसम
सब कुछ अच्छा होगा.........
हे ईश्वर !
जब तुम चाहोगे|
.................................................
खिलेगा कमल
पंछी गुनगुनाएंगे
कोयल कू कू करेगी
महकेगा चमन
बहेगी हवा
सुहावना होगा मौसम
सब कुछ अच्छा होगा.........
हे ईश्वर !
जब तुम चाहोगे|
.................................................
Tuesday, August 18, 2009
बांधो न नाव इस ठांव बन्धु!
Monday, August 17, 2009
सामान्य हुआ मौसम
बारिश आयी
सामान्य हुआ मौसम
जनजीवन खुश हो उठा
आस जगी
अब भी
चलो
रोपाई हो धान की
शायद ईश्वर की यही ईच्छा हो
खेत फिर से लहलहा उठे
अनाज पैदा हो
निजात मिले सूखे से
यही प्रार्थना है
क्यों कि
जब
किसान हो खुशहाल
तभी होगा
देश खुशहाल...।
सामान्य हुआ मौसम
जनजीवन खुश हो उठा
आस जगी
अब भी
चलो
रोपाई हो धान की
शायद ईश्वर की यही ईच्छा हो
खेत फिर से लहलहा उठे
अनाज पैदा हो
निजात मिले सूखे से
यही प्रार्थना है
क्यों कि
जब
किसान हो खुशहाल
तभी होगा
देश खुशहाल...।
Sunday, August 16, 2009
बाबूजी की बेटियां
बाबूजी की बेटियां
अब
पापा की बेटियां हैं
बेड़ियां
गये जमाने की है बात
नहीं सिमटा है जीवन
केवल चूल्हे- चौके,राशन-पानी तक
लड़कों से कम नहीं है उनकी उड़ाने
वह भी
बैग टांगे
सायकिल से स्कूटी से बसों से
करती हैं यात्रायें
बेहतर जीवन
जीना
अब
कपोल कल्पना नहीं.....।
अब
पापा की बेटियां हैं
बेड़ियां
गये जमाने की है बात
नहीं सिमटा है जीवन
केवल चूल्हे- चौके,राशन-पानी तक
लड़कों से कम नहीं है उनकी उड़ाने
वह भी
बैग टांगे
सायकिल से स्कूटी से बसों से
करती हैं यात्रायें
बेहतर जीवन
जीना
अब
कपोल कल्पना नहीं.....।
Saturday, August 15, 2009
आजादी का जश्न
आजादी का जश्न
मनाने की घड़ी है
उत्सव में सराबोर होने से
स्वतंत्रता सेनानियों को याद
करने मात्र से ही
नहीं संवरेगा अपना देश
आज
समय की मांग है
देश का हर नागरिक
अपने अधिकारों के साथ-साथ
अपने कर्तव्यों को जाने और समझे
तभी हो सकेगी समुचित भागीदारी
देश के प्रति
और
फ़िर होगा.....
विकासशील भारत
विकसित भारत..........।
मनाने की घड़ी है
उत्सव में सराबोर होने से
स्वतंत्रता सेनानियों को याद
करने मात्र से ही
नहीं संवरेगा अपना देश
आज
समय की मांग है
देश का हर नागरिक
अपने अधिकारों के साथ-साथ
अपने कर्तव्यों को जाने और समझे
तभी हो सकेगी समुचित भागीदारी
देश के प्रति
और
फ़िर होगा.....
विकासशील भारत
विकसित भारत..........।
Friday, August 7, 2009
चुनौतियां हैं सामने
एक बालक देखता है
दुनिया का बावलापन
लोग कैसे आगे बढ़ रहे हैं
इसका प्रश्न उसके जेहन में है
जिसे खोजता फिरता है वह
अपने आस-पास
अपने को भ्रम में पाता है
जैसे जैसे बडा़ होता है
उसका संशय और भी बड़ा हो जाता है
जब तक वह बालक था
मस्त था
आज
वह बड़ा हो गया है
चुनौतियां है सामने
बढ़ रहा है चौराहे की ओर
जहां से खुलते हैं अनेक द्वार
सोचता है
चुनुंगा उसे ही
जो कर दे सफल
पर
यह रास्ता सही है
यह कहना
आज
कितना सही है........।
दुनिया का बावलापन
लोग कैसे आगे बढ़ रहे हैं
इसका प्रश्न उसके जेहन में है
जिसे खोजता फिरता है वह
अपने आस-पास
अपने को भ्रम में पाता है
जैसे जैसे बडा़ होता है
उसका संशय और भी बड़ा हो जाता है
जब तक वह बालक था
मस्त था
आज
वह बड़ा हो गया है
चुनौतियां है सामने
बढ़ रहा है चौराहे की ओर
जहां से खुलते हैं अनेक द्वार
सोचता है
चुनुंगा उसे ही
जो कर दे सफल
पर
यह रास्ता सही है
यह कहना
आज
कितना सही है........।
Thursday, August 6, 2009
सावन भी चला गया
नहीं बदला मौसम
इस बार.......
रिमझिम फुहारें
सावनी बयार
सब
सपनों में ही रह गयी
सावन भी चला गया.......
इस बार.......
रिमझिम फुहारें
सावनी बयार
सब
सपनों में ही रह गयी
सावन भी चला गया.......
Monday, August 3, 2009
बालक का हक़
बाल मनुहार
हर बालक का हक है
पर
जब हाँथों में
खेल का सामान
किताबों के बैग
गले में टाई
पानी की बोतल
पैरों में जूते
और भी बहुत कुछ
यह सब न मिले
फिर
वह बचपन
अपने अस्तित्व से लड़ता हुआ
सर पर टोकरी
हाँथों में फावड़ा लेकर
सिसकियाँ भरता
आ खड़ा होता है
मजदूरों की भीड़ में
एक समय था
आने दो आने
अठन्नी चवन्नी
में भरता था पेट
पर आज दस बीस में भी नहीं
भरता है पेट ,
कोई बालक
इससे ज्यादा भी पाता है क्या ?
हर बालक का हक है
पर
जब हाँथों में
खेल का सामान
किताबों के बैग
गले में टाई
पानी की बोतल
पैरों में जूते
और भी बहुत कुछ
यह सब न मिले
फिर
वह बचपन
अपने अस्तित्व से लड़ता हुआ
सर पर टोकरी
हाँथों में फावड़ा लेकर
सिसकियाँ भरता
आ खड़ा होता है
मजदूरों की भीड़ में
एक समय था
आने दो आने
अठन्नी चवन्नी
में भरता था पेट
पर आज दस बीस में भी नहीं
भरता है पेट ,
कोई बालक
इससे ज्यादा भी पाता है क्या ?
Sunday, August 2, 2009
प्रेम का एहसास

एहसास मात्र ही नहीं है
इसे समझना शायद
सबके बस की बात नहीं है
इतनी आसानी से कोई कह दे
कि "मैं तुमसे प्यार करता हूँ "
यह बात गले से नहीं उतरती
इसका होना तो तब होता है
जब एक हूक सी उठे
जो तोड़ कर रख दे
सारा अभिमान
अपने होने का गुमान
और अपने दिल की बात
आँखों तक आ जाये
भर दे हृदय को -
निर्मल व पावन भावों से ।
चित्र : गूगल से साभार
Saturday, August 1, 2009
संकट के बादल
सड़कें
दिन ब दिन
चौडी़ हो रही हैं
फिर भी जाम से छुट्कारा कहां
संकट के बादल
अपनी कहानी कहते.............
दिन ब दिन
चौडी़ हो रही हैं
फिर भी जाम से छुट्कारा कहां
संकट के बादल
अपनी कहानी कहते.............
Subscribe to:
Posts (Atom)