Monday, August 31, 2009

कैसे सह लेते हो तुम

तुम प्रकृति की अद्भुत रचना हो
तुममे  विलक्षणता के सारे गुण हैं
धन्य हुआ होगा ईश्वर भी
धरती पर तुम्हें भेज के
तुम्हारी कार्य शैली
चातुर्य, व्यस्तता,
हर फन में पारंगत होना
साथ ही
सबको खुश रखने का गुण
मन मोहक  है

हम भी कायल हैं तुम्हारी
जीवन शैली के
कैसे कर लेते हो तुम
यह सब
कैसे सह लेते हो तुम
यह सब
सबकी सन्तुष्टि बीच
कहां से चुरा लेते हो
समय
अपना अपनेपन के लिये

तुम्हारा जीवन
एक रहस्य से कम नहीं......!

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!

वाणी गीत said...

हिमांशु के शहर से हिमांशु जैसा ही लिखने वाला ये कौन है ..??
बहुत बढ़िया .. शुभकामनायें ..!!

हेमन्त कुमार said...

@ वाणी गीत, सौभाग्य है...हमारे कस्बे की पहचान ब्लागिंग जगत में हमारे लंगोटिए यार से है ।हमारी खुशकिस्मती है । इससे ज्यादा और क्या कहना..!...रही बात मेरी ...सौ फीसदी सच कहूंगा-- मुझे भी ब्लागिंग की राह इसी ने दिखायी..!

दिगम्बर नासवा said...

LAJAWAAB ..... TUMHAARA JEEVAN HI NAHI TUM BHI EK RAHASY SE KAM NAHI HO ...