Sunday, August 2, 2009

प्रेम का एहसास

प्रेम का एहसास
एहसास मात्र ही नहीं है
इसे समझना शायद
सबके बस की बात नहीं है
इतनी आसानी से कोई कह दे
कि "मैं तुमसे प्यार करता हूँ "
यह बात गले से नहीं उतरती
इसका होना तो तब होता है
जब एक हूक सी उठे
जो तोड़ कर रख दे
सारा अभिमान
अपने होने का गुमान
और अपने दिल की बात
आँखों तक आ जाये
भर दे हृदय को -
निर्मल व पावन भावों से ।


चित्र : गूगल से साभार

3 comments:

Himanshu Pandey said...

प्रेम के खूबसूरत एहसास को व्यक्त करती इस रचना के लिये आभार ।

अजय कुमार झा said...

प्रेम को बहुत खूबसूरती से परिभाषित किया आपने ..

चन्दन कुमार said...

bas ye ek ehsas hi hai