प्रेम का एहसास
एहसास मात्र ही नहीं है
इसे समझना शायद
सबके बस की बात नहीं है
इतनी आसानी से कोई कह दे
कि "मैं तुमसे प्यार करता हूँ "
यह बात गले से नहीं उतरती
इसका होना तो तब होता है
जब एक हूक सी उठे
जो तोड़ कर रख दे
सारा अभिमान
अपने होने का गुमान
और अपने दिल की बात
आँखों तक आ जाये
भर दे हृदय को -
निर्मल व पावन भावों से ।
चित्र : गूगल से साभार
3 comments:
प्रेम के खूबसूरत एहसास को व्यक्त करती इस रचना के लिये आभार ।
प्रेम को बहुत खूबसूरती से परिभाषित किया आपने ..
bas ye ek ehsas hi hai
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