Friday, August 7, 2009

चुनौतियां हैं सामने

एक बालक देखता है
दुनिया का बावलापन
लोग कैसे आगे बढ़ रहे हैं
इसका प्रश्न उसके जेहन में है
जिसे खोजता फिरता है वह
अपने आस-पास
अपने को भ्रम में पाता है
जैसे जैसे बडा़ होता है
उसका संशय और भी बड़ा हो जाता है

जब तक वह बालक था
मस्त था
आज
वह बड़ा हो गया है
चुनौतियां है सामने
बढ़ रहा है चौराहे की ओर
जहां से खुलते हैं अनेक द्वार
सोचता है
चुनुंगा उसे ही
जो कर दे सफल
पर
यह रास्ता सही है
यह कहना
आज
कितना सही है........।

8 comments:

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

बहुत अच्छी अभिव्यक्ति.. हैपी ब्लॉगिंग

ओम आर्य said...

bahut hi sundar hai manobhaw jise padhkar achchha laga

Himanshu Pandey said...

जीवन की अनवरत यात्रा में संशय, विकल्प, असहमति - न जाने कितने पड़ाव केवल इसलिये ही आते हैं कि जीवन की यह सात्विक यात्रा क्षण भर के लिये ठहर जाँय ।

बहुत कुछ स्वाभाविक है- उसकी अभिव्यक्ति ।

पूनम श्रीवास्तव said...

Hemant Ji,
bachche ke manobhavon ko lekar achchhee rachna hai...badhai.

hempandey said...

'पर
यह रास्ता सही है
यह कहना
आज
कितना सही है........। '
-जीवन में जिसने सही रास्ते को पहचान लिया वही सफल हुआ.लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इस रास्ते को पहचानने की है.

Mohinder56 said...

गहरे भावों के मंथन स्वरूप इस रचना का जन्म हुआ है.. निश्चय ही बिना चले यह कह पाना कौन सी राह उचित है कौन सी अनुचित अत्यन्त कठिन है.. समय ही सही और गलत का निर्णय करता है

दिगम्बर नासवा said...

आज के दौर में सही रास्ता तलाश करना बहुत ही मुश्किल है.................. चुनौतियां तो हैं ही बहुत .............. लाजवाब लिखा है आपने

Randhir Singh Suman said...

good