धरती का कलेजा फट रहा है
देख कर चिटकन
धरती का
मानो ऐसा लगता है
इतनी विशाल धरती
जिसका तीन भाग पानी है
उसका पानी पानी के लिए तरसना
गला भर आता है
पर्यावरण असन्तुलन के लिए जिम्मेदार कौन
जितना दोहन हम करते हैं
क्या उसके प्रति वफादार हैं
अन्न-पानी -हवा
जब इसका दायरा सिमटेगा
तो इस जनसंख्या का क्या होगा
कभी अलनिनो कभी कुछ को
कब तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है
नहीं हो रही खेती अच्छी
तब महगांई और भागेगी
आम जनता और धरती के कलेजे में
जमीन आसमान का अन्तर है
जब धरती का यह हाल है
जन जीवन का क्या होगा............?
2 comments:
बहुत बेहतरीन!!
बहुत बडिया अभिव्यक्ति आभार्
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