सागर से लहरें उठती हैं
साहिल की ओर
निरन्तर बढ़ने को उत्सुक
इनकी उमंगें
शान्त पवन को झकझोरती हूई
निर्द्वन्द, निर्लिप्त निश्चेष्ट भाव से
पुकार रही हैं.................।
आओ......!
मुझमें निहित अन्तष्चेतना के साथ
यात्रा करें उस ओर
जहां बसती है दुनियां
रंग बिरंगी
प्रकृति के कुछ अद्भुत नजारे।
इन नजारों को
निरखने को तत्पर
हमारी आंखें
करने को अंकित आतुरता से.....!
अपने मानस पटल पर
रच जाय ऐसा आयाम
जो दे सके
अकल्पित, शाश्वत, निर्मल ,पावन
हृदयंगम हो जाय
ऐसी खुशियां
सबके बीच सौहार्द्र..........!
5 comments:
अकल्पित, शाश्वत, निर्मल ,पावन
हृदयंगम हो जाय
ऐसी खुशियां
सबके बीच सौहार्द्र..........!
खूबसूरत कल्पना। वाह हेमन्त जी।
प्रकृति का जीवन के कण-कण में स्वीकार ! शायद कविता यही कहना चाह रही है ! बेहतर ।
ऐसी खुशिया सबके बीच सौहार्द्र ..बहुत खूबसूरत ..शुभकामनायें ..!!
यात्रा करें उस ओर
जहां बसती है दुनियां
रंग बिरंगी
प्रकृति के कुछ अद्भुत नजारे....
BAHOOT SUNDAR LIKHA HAI ..... ADHBIDH KSHATA HAI SHABDON KI .......
अनदेखी चीजें काफी अच्छी लगतीं हैं।
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