Friday, September 4, 2009

मेरे कुछ मुक्तक

सुबह से शाम तक बैठा रहा
तेरे इन्त्जार में
तुम हो
कि आये और चल दिये ..।


मुद्दत बाद
तुम्हारा दीदार हुआ
चलो अच्छा हुआ
एक बार हुआ...


हम मुसाफिर हैं
ये राह हो न हो
रहगुजर तो है
साथ चलते रहेंगे...।


तुम्हारा खयाल आया
तो यादों के साथ हो लिए
साथ तुम तो न थे
तुम्हारी याद ही सही..।


हम तो आये थे
कुर्बान होने को
यहां देखा तो
तुम विदा हो रही थी  ...।

5 comments:

Himanshu Pandey said...

दूसरा तो कहर ढा रहा है मित्र !
मुक्तक का आइडिया बुरा नहीं ! यूँ ही निकल गये थे न !

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर!

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

mehek said...

मुद्दत बाद
तुम्हारा दीदार हुआ
चलो अच्छा हुआ
एक बार हुआ...

waah behtarin

वाणी गीत said...

मुद्दत बाद तुम्हारा दीदार हुआ अच्छा हुआ एक बार हुआ ...एक मुलाकात में ही इतने प्रताडित हैं ..?? हा हा
बेहतरीन भाव लिए हुए मुक्तक ..