विजयादशमी
आश्विन शुक्ल की दशमी
अपने अमरत्व को लेकर
सदियों से इतरा रही होगी.....!
भगवान राम के
अधर्म पर धर्म की
असत्य पर सत्य की विजय
और
गृह-नगर-आगमन का श्रेय
मुझे ही मिला !
जायज भी है
जिसके हिस्से
लग जाय इतना बड़ा श्रेय
वह अपने आगत को लेकर भी
सुनिश्चित होगा ही...!
मनाना विजयादशमी को
उचित है
राम रावण युद्ध और राम की विजय
एक बड़े जनसैलाब के समक्ष मंचन
आमंत्रण है हमें कि
जीवन में सत्य के मार्ग पर
सदैव ही चलकर
सही संस्थापना होती है !
सदियों से चले आ रहे
इस पर्व का प्रभाव
जनसामान्य में
सार्थक हुआ होता
राम-राज्य की परिकल्पना
साकार नहीं होती....!
6 comments:
बहुत अच्छी और समसामयिक रचना। आपको विजयादशमी की हार्दिक बधाई।
प्रसंगानुकूल बेहतर रचना । आभार ।
अच्छी रचना। विजयादशमी की बधाई।
मनाना विजयादशमी को
उचित है..
यदि सिर्फ रस्म के तौर पर हो तब भी ...?? नहीं ना ...
मनाये अपने भीतर के रावण के स्याह पक्ष को को मार कर ...!!
सामयिक है आपकी रचना ..... राम राज्य कभी तो आएगा ........विजयादशमी की हार्दिक बधाई.
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।
dher sari subh kamnaye
happy diwali
from sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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