मैने देखा
एक आदमी का जीवन
कैसे बदलता है
समय ने जख्म कैसे भर दिया
कभी उसकी चित्कार ने
झकझोर कर रख दिया
और आज
पुन: आस्थावान है
उसमें जीवन को लेकर
फिर से आस जगी है
नयी नयी बातें करता है वह
सभी
सब कुछ पहले सा हो गया...
शायद यही समय की मांग है..?
निराशा ने दम तोड़ दिया
आज आशावान हो गया है
अतीत के दुख दर्द
गये जमाने की है बात
भावप्रवणता ने उंचाई पा ली है
सब कुछ पहले सा हो गया....!
3 comments:
अच्छा लिखा है.
शायद यही समय की मांग है..?
निराशा ने दम तोड़ दिया
आज आशावान हो गया है
अतीत के दुख दर्द
गये जमाने की है बात
भावप्रवणता ने उंचाई पा ली है
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आशा ही जीवन है बधाई
ek sundar abhivyakti..
asha se paripoorn...
Post a Comment