आजकल हर लम्हा
सवाल पूछता है
कितने बदल गये हो तुम
समय ऐसा करवट लेगा
तुम्हारे जीवन से
अवकाश के क्षण
भी बार- बार पुकार कर
अपना हक मांगेंगे
और तुम उन्हें क्या दे सकोगे ।
पिछले पायदान के पदचिह्न
साथ गुजरे एक-एक पल
का हिसाब करने को बेकरार हैं
कहते हैं
अरे ! मैने ही साथ दिया था
उस वक्त जब तुम्हारी
अपनी कोई पहचान न थी
कदम - कदम पर हौसला दिया
और बेहतर संयोग भी
नहीं होता न्याय तुम्हारे साथ
आज तुम यहां होते ........!
5 comments:
वक्त की बेरहमी से अतीत भले हो गये हों कई अनूठे क्षण अतीत के पर उनकी चासनी में पगा वर्तमान मोहक और मीठा होता है । पिछले क्षणॊं का हिसाब कहाँ दे पाते हैं हम !
बेहतर रचना ।
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना.
मन के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इतना एहसान जताना ठीक नहीं ...
बेहतर रचना ...आभार ..!!
SAARTHAK RACHNA ... KISI KA SAATH HONA KITNA SUKOON DE SAKTA HAI ...
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