Thursday, September 10, 2009

आज तुम यहां होते ..!

आजकल हर लम्हा
सवाल पूछता है
कितने बदल गये हो तुम
समय ऐसा करवट लेगा
तुम्हारे जीवन से
अवकाश के क्षण
भी बार- बार पुकार कर
अपना हक मांगेंगे
और तुम उन्हें क्या दे सकोगे ।

पिछले पायदान के पदचिह्न
साथ गुजरे एक-एक पल
का हिसाब करने को बेकरार हैं
कहते हैं
अरे ! मैने ही साथ दिया था
उस वक्त जब तुम्हारी
अपनी कोई पहचान न थी
कदम - कदम पर हौसला दिया
और बेहतर संयोग भी
नहीं होता न्याय तुम्हारे साथ
आज तुम यहां होते ........!

5 comments:

Himanshu Pandey said...

वक्त की बेरहमी से अतीत भले हो गये हों कई अनूठे क्षण अतीत के पर उनकी चासनी में पगा वर्तमान मोहक और मीठा होता है । पिछले क्षणॊं का हिसाब कहाँ दे पाते हैं हम !
बेहतर रचना ।

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मन के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

वाणी गीत said...

इतना एहसान जताना ठीक नहीं ...
बेहतर रचना ...आभार ..!!

दिगम्बर नासवा said...

SAARTHAK RACHNA ... KISI KA SAATH HONA KITNA SUKOON DE SAKTA HAI ...