कब से देखता रहा तुम्हारी राह
तुम ना आये
तुम्हारा न आना
समय की गति को भी परिवर्तित कर दिया ।
समय भी अब धीरे-धीरे चलने लगा
आज तुम न सही
तुम्हारी यादें तो हैं
बीते हुए कल का
जब भी पलटता हूं
एक-एक पन्ना
तुम्हारे साथ जिया एक-एक पल ।
हरा हो जाता है क्षण-क्षण
और फिर खो जाता हूं
उस पल में
कुछ भी याद नहीं रहता
कि और भी कुछ करना है।
तुमने दिया था एक सम्बल
हमारे स्वत्व को
और पुन: लौटा मुझमें आत्मविश्वास ।
5 comments:
सब कुछ बेहतर हो रहा है । कविता प्रभावित करती है । धन्यवाद ।
अच्छे भाव की रचना। पढ़ना अच्छा लगा आपको।
यादों को संबल बनाये ..आत्मविश्वास फिर से लौट आएगा ..!!
बीते हुए कल का
जब भी पलटता हूं
एक-एक पन्ना
तुम्हारे साथ जिया एक-एक पल .......
UN YAADON MEIN HI TO JEEVAN SAMAAYA HOTA HAI .....
MAN KO CHOO KAR GUZAR GAYEE AAPKI YEH RACNA ...
बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।
dher sari subh kamnaye
happy diwali
from sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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