हिन्दी दिवस
हमारी हिन्दी परंपरा के बोध मात्र के लिए ही नहीं
जिससे कि हमारी शब्दावलियां , साहित्य भण्डार,
विरासत में मिले ऐसे साक्ष्य
और हमारी मातृ-भाषा
अपने इतिहास को सशक्त बनाते हों
हमारे पुरोधाओं ने
अपना सर्वस्व न्यौ़छावर कर
गरिमामय संकल्पना से
स्थापित किया इसे
इनकी प्रेरणा
सिमट कर न रह जाय
हिन्दी दिवस मनाने मात्र में-----
बैनर लगाया
किसी को मुख्य अतिथि बनाया
पचीस - पचास के बीच में
स्थितप्रज्ञ हो
ढेर सारी कार्य योजना का संकल्प लिया
और फिर
अपनी - अपनी डफली
अपना - अपना राग
सच तो यह है
अब बहुत हो चुका
क्या बचा है खोने को
हिन्दी दिवस तब्दील हो--
हिन्दी सप्ताह में
हिन्दी माह में
हिन्दी वर्ष में
हिन्दी दशक में
तब तक जब तक कि
रग - रग में हमारी मातृ-भाषा
सर्वश्रेष्ठ रूप में स्थापित न हो जाय ।
5 comments:
हिन्दी दिवस ऐसे ही मनता है मित्र । मस्तिष्क में ऐसा ही बैठा रहता है वर्ष भर, अचानक ही हिन्दी दिवस के रूप में बाहर आ जाता है ।
हमारी शब्दावलियां , साहित्य भण्डार,
विरासत में मिले ऐसे साक्ष्य
और हमारी मातृ-भाषा
अपने इतिहास को सशक्त बनाते हों ...
ऐसे हिंदी दिवस की कल्पना साकार हो ...बहुत शुभकामनायें ..!!
वास्तव में हमारी रग रग में हमारी मातृभाषा को होना ही चाहिए .. ब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
सच कहा हिंदी वर्ष होना चाहिए और हर वर्ष होना चाहिए ........हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ......
Post a Comment