मुझे अभी जीना है कविता के लिए नहीं
कुछ करने के लिए कि मेरी संतान मौत कुत्ते की न मरे
मै आत्महत्या के पक्ष में नहीं हूं तो इसलिए
कि मुझसे पहले मरें वे जो कि
मेरी तरह मरने को बाध्य हैं
कुछ नहीं करता हूं मृत्यु के भय से मैं
सिर्फ अपमान से उनको बचाता हूं
जिन्हें मृत्यु आकर ले जायगी
दबे पांव आहट को सुनता हूं
और उसे शोर बनने नहीं देता हूं
हां मैं कुछ करता हूं जिसका
उपचार से कोई संबंध नहीं
(‘रघुवीर सहाय‘ की कविता)
7 comments:
रघुवीर जी की कविता की प्रस्तुति का आभार ।
रघुवीर सहाय जी रचना पढ़वाने के लिए आभार!
बेहतरीन कविता प्रस्तुत करने का आभार और शुभकामनायें..!!
रघुवीर जी की कविताएँ मुझे हमेशा से जटिल लगती रही हैं, जाने क्यों? सम्भवत: यही उनकी शक्ति भी है।
Raghuveer ji kii itanee dhardar kavita padhvane ke liye shubhkamnayen.
Poonam
RAGUVEER JI KI SAARTKAH RACHNA ........ SHUKRIYA
अरे बन्धु जीना है अमरत्व के लिये! यह समझने के लिये कि कोई मार नहीं सकता हमें!
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