दिन -ब - दिन
समस्याएं साथ नहीं छोड़ रहीं
इस जंजाल से मुक्ति पाने का
अनूठा मार्ग है
समस्या के साथ ही साथ ।
जितनी गहरी समस्या
उतनी मोटी रकम
घूस के रूप में
समस्या हल हो जायगी
बिना किसी योग्यता के ।
मोटी रकम से निर्धारित मानक
क्षण भर मे
सारे मानक खुद - ब - खुद
पूरे हो जाते हैं...!
और हो जाते हैं सफल ।
कुछ लोग !
देखते रह जाते हैं वह
जो जानते हैं उनकी वास्तविकता
हांथ पर हांथ धरे रह जाना
बन जाती है उनकी नीयति...!
देख कर यह सब
फूल जाते हैं हांथ पांव
हृदय में चलने लगते हैं घूंसे
धाड़ - धाड़ बजने लगता है वह ।
क्या मेरी सारी ऊर्जा
जो लगा दी मैने
एकेडमिक रिकार्ड बनाने में
उसका कोई मोल नहीं
क्योंकि नही दे सकता मैं
इतना सारा घूस .....।
5 comments:
पता नहीं, अत: एक कोटेशन उछाल रहा हूं - समस्या उस स्तर पर हल नहीं होती जिस स्तर पर वह जन्मी है। कम से कम एक स्तर ऊंचे उठकर हल सोचना होता है।
आइंस्टीन का कथन है यह!
हमें तो ज्ञान जी के बताये महान व्यक्तित्व के महान वक्तव्य पर चिंतन करना समीचीन समझ में आ रहा है ।
ज्ञान जी द्वारा दिए गए आइंसटीन के कथन में दम है हेमंत जी.
वर्तमान स्थिति पर सटीक अभिव्यक्ति ...यहाँ तो पानी बिजली का कनेक्शन तक बिना घूस के लेना संभव नहीं है ...!!
बहुत ही अच्छी रचना-ज्ञान जी नें सटीक उदाहरण दिया है।
हर समस्या का समाधान होता है बात बस उस गहराई तक उतरने की है।
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