Wednesday, September 9, 2009

भारतेन्दु जी के जन्म दिवस पर

राम भजो राम भजो राम भजो भाई ।
राम के भजे से गनिका तर गई,
राम के भजे से गीध गति पाई।
राम के नाम से काम बनै सब,
राम के भजन बिनु सबहि नसाई॥
राम के नाम से दोनों नयन बिनु,
सूरदास भए कबिकुल-राई।
राम के नाम से घास जंगल की,
तुलसीदास भए भजि रघुराई॥
                                       
                                    ( भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कृत - अन्धेर नगरी से)                 

4 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर उन्को शत शत नमन आपका आभार्

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

kalyug kewal naam aadhara,simar simar nar utare para.narayan narayan

ओम आर्य said...

बहुत बहुत आभार आपने जो इतनी अच्छी रचना पढवायी.

Himanshu Pandey said...

राम भजो राम भजो राम भजो भाई ।
राम भजो राम भजो राम भजो भाई ।
राम भजो राम भजो राम भजो भाई ।
राम भजो राम भजो राम भजो भाई ।

भारतेन्दु जी की कविता का आभार ।