Saturday, September 19, 2009

क्षणिकाएं...!

तुम न थे
तो जिन्दगी न थी
तुम आये जिन्दगी में
तो रौनक आयी ।

तुम्हारे सामने
कुछ कह भी न सके
दिल की बात
दिल में ही रह गयी !

तुम्ही बताओ
तुम्हारे वास्ते के सिवा
अपना
भी कोई रास्ता था...?

मेरे मालिक !
तु मुझे बेरुखी न दे
तेरे दर से
ऐसे भी कोई जाता है !

तुमने देखा
तो मुंह फेर लिया
हम तो आये थे
तेरा होने को !

8 comments:

Himanshu Pandey said...

"तुम्ही बताओ
तुम्हारे वास्ते के सिवा
अपना
भी कोई रास्ता था...?"

बहुतै धाँसू है भाई ! सपने में वास्ता अउर रास्ता दुन्नों का खयाल आ गया का ?
क्षणिकायें अच्छी हैं ।

वाणी गीत said...

मुंह फेर कर जाने वाले लौट आये ..
नवरात्री की बहुत शुभकामनायें ..!!

M VERMA said...

बहुत खूबसूरत
"तुमने देखा
तो मुंह फेर लिया
हम तो आये थे
तेरा होने को !"

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत सुन्दर कविता है...

पूनम श्रीवास्तव said...

Vah bahut sundar rachana.
Poonam

sudarshan said...

hemant ji mere lekh main ruchi lekar hausla afjai ke liye shukriya, isi bahane ak khoobsurat kavita padhne ko bhee mil gaye

Amit K Sagar said...

बेहद सार्थक रचना. सोचने पर विवश करती है रचना. लिखते रहिये.
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Till 25-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!