Saturday, September 26, 2009

हाईकू.....!

भोर हुआ धरती पर
"मानस"
जाग उठा ..!


तुम न थे
पर
तुम्हारी याद साथ - साथ थी..!


तुमसे रूखसत हुआ
तो
होश आया..!


स्वप्न
सलोना हो
तेरे जैसा..!

बचपन का
भोलापन
यहां ईश्वर बसता है..!

5 comments:

M VERMA said...

सभी बहुत खूबसूरत्

Himanshu Pandey said...

हाइकू? काहें कू ?

इसका व्याकरण भी है प्यारे ! हाँ बातें अच्छी हैं । नये प्रयोग पुष्ट ही करते हैं रचनाधर्मिता को ।

अभिषेक आर्जव said...

अच्छा लिखा है ! सुन्दर भाव !
(कल ट्रांसलिटरेशन काम नही कर रहा था ,अंग्रजी में लिखना पडा )

Jai Prakash Chaurasia said...

प्रयोगधर्मिता को बधाई हो।

पूनम श्रीवास्तव said...

सभी हाइकू बहुत अच्छे लगे।